Telangana caste survey sub caste benefits 2025 : तेलंगाना में जाति सर्वे के आधार पर हर उप-जाति को अलग-अलग लाभ दिए जा सकते हैं। अब हमें हर समुदाय की संख्या का पता चल गया है, इसलिए हमें उनकी समस्याओं के समाधान परिवार स्तर तक खास तरीके से करने होंगे: उपमुख्यमंत्री ने Express से कहा।

Telangana caste survey sub caste benefits 2025
तेलंगाना सरकार ने जाति सर्वेक्षण सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा, नौकरी और राजनीति से जुड़ी जानकारी को लेकर घर-घर जाकर और लोगों से खुद की जानकारी लेकर किया।

तेलंगाना की हर उप-जाति को अब मिलेगा उसका हक, सरकार ने शुरू की नई पहल

Telangana caste survey sub caste benefits 2025 – तेलंगाना सरकार की जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अब 59 अनुसूचित जातियों (SC) और 33 अनुसूचित जनजातियों (ST) की उप-जातियों को उनकी जरूरत के मुताबिक खास योजनाओं का लाभ मिलेगा — चाहे वह शिक्षा हो, रोजगार के मौके हों या फिर आर्थिक मदद की जरूरत।

अब तक ज़्यादातर योजनाओं का फायदा सिर्फ बड़ी उप-जातियों जैसे मदिगा और माला को ही मिलता रहा, लेकिन अब सरकार का ध्यान उन 57 उप-जातियों पर भी जाएगा जो अब तक नजरअंदाज़ होती आई थीं और सर्वे के मुताबिक पीछे छूट गई हैं। यही नहीं, 134 पिछड़ी जातियों (BC) में से करीब 50 उप-जातियों के लिए भी इसी तरह की विशेष योजनाएं लाई जाएंगी।

इस बदलाव की नींव तब पड़ी जब पूर्व सुप्रीम कोर्ट के जज बी. सुधर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली 11 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने 300 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को सौंपी। यह रिपोर्ट राज्यभर में घर-घर जाकर लोगों से खुद की जानकारी लेकर तैयार की गई थी।

अब हर परिवार की आवाज सुनी जाएगी, और हर उप-जाति को उसकी ज़रूरत के मुताबिक मदद मिलेगी — यह सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि एक न्यायपूर्ण कदम है।\

तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री (वित्त, योजना और ऊर्जा) भट्टी विक्रमार्क मल्लू ने The Indian Express https://indianexpress.com/article/india/telangana-caste-survey-curated-benefits-each-sub-caste-10148535/?ref=hometop_hpसे कहा:

इस रिपोर्ट ने सरकार की जिम्मेदारी को और भी बढ़ा दिया है। अब हमें हर समुदाय के लिए अलग-अलग योजनाएं बनानी होंगी, ताकि उनकी असली ज़रूरतों को पूरा किया जा सके।”

“रिपोर्ट से हमें ये गहरी समझ मिली है कि हर जाति और उप-जाति के लोग किस हाल में हैं — समाज में उनकी स्थिति क्या है, आर्थिक रूप से वे कितने मजबूत या कमजोर हैं, उनके पास रोज़गार है या नहीं, और वे किस तरह जीवन चला रहे हैं।”

“यह रिपोर्ट सिर्फ आंकड़ों का ढेर नहीं है, ये लोग हैं — ज़िंदा, साँस लेते इंसान, जिनकी तकलीफें और ज़रूरतें अब हमारे सामने हैं। अब हमें हर समुदाय की जनसंख्या की सही जानकारी है, और हमें उनके लिए ऐसे समाधान लाने होंगे जो उनकी ज़िंदगी को जड़ से बदल सकें — परिवार के स्तर तक जाकर।

तेलंगाना का जातिगत सर्वे बना सकता है देशभर के लिए मिसाल, केंद्र को अपनाना चाहिए ब्लूप्रिंट के रूप में

तेलंगाना सरकार द्वारा कराए गए जातिगत सर्वेक्षण ने सिर्फ राज्य नहीं, बल्कि पूरे देश को एक नई दिशा दिखाई है। अब राज्य के अधिकारी खुद मानते हैं कि यह रिपोर्ट केवल जनसंख्या का डेटा नहीं है, बल्कि हर जाति और उप-जाति की असली ज़रूरतों को समझने की एक ठोस बुनियाद है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:

“अब हम सिर्फ सरकारी योजनाएं और लाभ ही नहीं, बल्कि शिक्षा और नौकरी में आरक्षण, व्यक्तिगत आर्थिक सहायता और राजनीतिक प्रतिनिधित्व तक — सब कुछ हर जाति की संख्या के हिसाब से तय करेंगे। ये प्रतिनिधित्व मंडल और ज़िला परिषद स्तर तक सुनिश्चित किया जाएगा।”

इस रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आए। सबसे बड़ा खुलासा यह रहा कि तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग (BC) की आबादी 56% से भी अधिक हो चुकी है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने 11 जुलाई को दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए:

  1. स्थानीय निकायों में BC वर्ग को 42% आरक्षण देने का बिल,

  2. शिक्षा और रोजगार में भी 42% आरक्षण का प्रावधान।

इन विधेयकों का आधार यह था कि BC आबादी करीब 55-56% के बीच है और 2028 के चुनावों तक यह 56% से ऊपर जा सकती है — जो अब सर्वे के जरिए साबित हो गया है।

इस सर्वे की पारदर्शिता, घर-घर जाकर जानकारी जुटाने की मेहनत, और लोगों से सीधे बातचीत कर बनाई गई यह रिपोर्ट दिखाती है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो हर समुदाय को उसका हक देना मुमकिन है।

अब केंद्र सरकार के पास एक बेहतरीन मौका है — इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने का।
और अगर सभी राजनीतिक दल इसमें साथ आएं, तो यह एक ऐतिहासिक कदम होगा — जो सिर्फ आरक्षण की बात नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की असली तस्वीर पेश करेगा।

तेलंगाना सरकार का आरक्षण बिल मुश्किल में, मुख्यमंत्री पहुंचे दिल्ली – सर्वे में आया चौकाने वाला आंकड़ा

तेलंगाना सरकार ने जब पिछड़े वर्ग (BC) को स्थानीय निकायों, शिक्षा और नौकरियों में 42% आरक्षण देने वाले दो अहम बिल राष्ट्रपति और केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजे, तो उम्मीद थी कि यह एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।

लेकिन जब यह संकेत मिले कि राष्ट्रपति इन बिलों को मंजूरी दिए बिना वापस लौटा सकते हैं, तो मामला गंभीर हो गया।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क मल्लू और अन्य वरिष्ठ नेता तुरंत नई दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) में एक पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन देकर इस फैसले के पीछे की ज़रूरतों और तर्क को समझाया — ताकि केंद्र पर दबाव बनाया जा सके।

इस बीच, जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा हुआ —
तेलंगाना की करीब 4% आबादी ने खुद को ‘बिना जाति’ वाला बताया, यानी उन्होंने अपनी पहचान किसी भी जाति से नहीं जोड़ी। यह अपने आप में एक सामाजिक बदलाव का संकेत है।

📊 जातिगत सर्वे का पूरा आंकड़ा इस प्रकार है:

  • कुल घरों की संख्या: 1,15,71,457

  • सर्वे की गई कुल जनसंख्या: 3,55,50,759

इसमें शामिल हैं:

  • अनुसूचित जाति (SC): 61,91,294 (17.42%)

  • अनुसूचित जनजाति (ST): 37,08,408 (10.43%)

  • पिछड़ा वर्ग (BC): 2,00,37,668 (56.36%)

  • अन्य जातियाँ (OC/General): 56,13,389 (15.89%)

यह आंकड़े न सिर्फ योजनाओं की दिशा तय करेंगे, बल्कि यह भी बताएंगे कि समाज किन हिस्सों में सबसे ज़्यादा मदद की ज़रूरत है।

सबसे बड़ी बात यह है कि सिर्फ आंकड़े नहीं, यह उन परिवारों की असल ज़िंदगियों की कहानी है — और सरकार का प्रयास है कि अब कोई भी पीछे न छूटे

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना सरकार द्वारा घर-घर जाकर और लोगों से स्वयं प्रमाणन (Self-Certification) के माध्यम से कराया गया सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, रोजगार और राजनीतिक (SEEPC) जातिगत सर्वे, देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है।

उन्होंने बताया कि इस सर्वे के दौरान सरकार ने 88 करोड़ पन्नों का डेटा जुटाया है — जो दर्शाता है कि यह केवल एक सर्वे नहीं, बल्कि लाखों लोगों की ज़िंदगी, उनकी ज़रूरतों और उनकी आवाज़ को समझने की एक ईमानदार कोशिश है। (BTrue News)

#TelanganaCasteSurvey

 

By Manoj

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *