Sonam Wangchuk Ladakh की गिरफ्तारी ने उनकी स्थिति को और मज़बूत कर दिया है, क्योंकि अब उन्हें लद्दाख के दोनों क्षेत्रों के हितों की अगुवाई करने वाले एक जमीनी नेता के रूप में देखा जा रहा है।

Sonam Wangchuk Ladakh
Sonam Wangchuk Ladakh- इंजीनियर, नवप्रवर्तक और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक एक कार्यक्रम के दौरान छात्रों का अभिवादन करते हुए (पीटीआई)।

Sonam Wangchuk Ladakh सर्वसम्मति’ नेता के रूप में उभरे

पर्यावरण के लिए काम करने वाले सोनम वांगचुक ने राजनीतिक मुश्किलों का सामना किया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी के बाद अब लद्दाख में हालात उनके पक्ष में हो गए हैं। 59 साल के सोनम वांगचुक को सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत जेल भेजा गया, जिससे वो पर्यावरण और शिक्षा के लिए काम करने वाले व्यक्ति से अब लेह (जहां ज़्यादातर बौद्ध हैं) और कारगिल (जहां ज़्यादातर मुसलमान हैं) – दोनों इलाकों में लोगों के पसंदीदा नेता बन गए हैं।

कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने एपेक्स बॉडी लेह (ABL) का समर्थन किया है और केंद्र सरकार से बातचीत शुरू करने से पहले सोनम वांगचुक की रिहाई को पहली शर्त बताया है। ये बातचीत लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर होनी है।

वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी छवि और मज़बूत हो गई है। अब उन्हें लद्दाख के दोनों इलाकों के लिए आवाज़ उठाने वाले एक जमीनी नेता के रूप में देखा जा रहा है। 24 सितंबर की गोलीकांड की घटना, जिसमें चार स्थानीय लोगों की मौत हुई थी, और न्यायिक जांच की उनकी मांग लोगों के बीच गूंज रही है।

कुछ दिन पहले सामाजिक कार्यकर्ता और नेता साजिद कारगिली ने जोधपुर जेल में वांगचुक के वकील मुस्तफा हाजी से मुलाकात की थी। उसी दौरान वांगचुक का संदेश उन्होंने जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि जब तक लद्दाख के लोगों की सभी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे जेल में रहने को तैयार हैं। इस बयान ने उन्हें एक साहसी और दृढ़ नेता के रूप में पेश किया है।

अब तक सोनम वांगचुक को एक पर्यावरण कार्यकर्ता और नवप्रवर्तक के रूप में जाना जाता था, लेकिन जेल में बिताए हर दिन के साथ उनकी छवि एक मजबूत नेता के रूप में बनती जा रही है,” कारगिल के छात्र साहिल अब्बास ने कहा। (By – The Indian Express)

वांगचुक राजनीति में नए नहीं हैं। उनके पिता भी करीब 30 साल पहले जम्मू-कश्मीर राज्य में मंत्री रह चुके हैं। साजिद कारगिली ने कहा, “सोनम वांगचुक लद्दाख का चेहरा हैं। उन्हें बिना किसी शर्त रिहा किया जाना चाहिए। न्यायिक जांच, पीड़ित परिवारों को मुआवजा और गिरफ्तार लोगों की रिहाई जैसी सभी मांगें पूरी होने के बाद ही लोगों से बातचीत शुरू होनी चाहिए।”

लद्दाख के सांसद हनीफा जान ने कहा, “वांगचुक एक प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता हैं और लद्दाख में काफी प्रसिद्ध हैं। मैं उन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में जानता हूँ जो शांति में विश्वास रखते हैं, हिंसा में नहीं।”

सोनम वांगचुक, जो अपनी शिक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के काम के लिए रामोन मैगसैसे पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं, को 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसक प्रदर्शनों के बाद हिरासत में लिया गया था। इन प्रदर्शनों में पुलिस फायरिंग के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों का आरोप है कि वांगचुक ने इन प्रदर्शनकारियों को उकसाने में अहम भूमिका निभाई।

30 सितंबर को लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक की गिरफ्तारी को सही ठहराते हुए बयान जारी किया। प्रशासन ने उन पर सार्वजनिक भाषणों में बार-बार “आत्मदाह” का विचार जताने का आरोप लगाया और तिब्बत में इस्तेमाल हुए विरोध के तरीकों से तुलना की। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की बातों ने सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा किया। (BTrue News)

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By Manoj

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