Delhi digital arrest fraud 2025:दिल्ली का सबसे बड़ा ‘डिजिटल आरेस्ट’ फ्रॉड: 7 परतों में बँटकर 4,236 ट्रांज़ैक्शनों से 22.92 करोड़ रु. उड़ा दिए गए
रिटायर्ड बैंकर को अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी चोट सहने के बाद पूरे 6 हफ़्ते लगे हिम्मत जुटाने में, ताकि वह 22.92 करोड़ रुपये के ग़ायब होने की रिपोर्ट दर्ज करा सके।

Delhi digital arrest fraud 2025: 78 वर्षीय बैंकर के 22.92 करोड़ रुपये 4,236 ट्रांज़ैक्शनों में चोरी
Delhi digital arrest fraud 2025 , दक्षिण दिल्ली के पॉश गुलमोहर पार्क में 78 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंकर नरेश मल्होत्रा के लिए रोज़ाना की ज़िंदगी बिल्कुल सामान्य लगती थी — परिवार और दोस्तों संग बैठकी, कॉलोनी पार्क में टहलना, करीबी मित्रों के साथ अड्डेबाज़ी और क्लब में जाना। इन छह हफ़्तों में न तो परिजनों को, न ही दोस्तों और पड़ोसियों को किसी गड़बड़ी का अंदेशा हुआ। लेकिन इसी दौरान मल्होत्रा ने अपने तीन अलग-अलग बैंक खातों से 21 ट्रांज़ैक्शनों के ज़रिए 22.92 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम 16 खातों में ट्रांसफ़र कर दी। , Delhi digital arrest fraud 2025
बैंक शाखाओं के प्रबंधकों को भी कोई शक नहीं हुआ। एक शाखा में तो वे चाय की चुस्कियाँ लेते हुए लेन-देन करते रहे, जबकि उनकी जीवनभर की पूंजी धीरे-धीरे निकलती जा रही थी। दरअसल, मल्होत्रा ‘डिजिटल आरेस्ट’ के शिकार हो चुके थे। स्कैमर्स खुद को प्रवर्तन निदेशालय और मुंबई पुलिस का अफ़सर बताकर उन्हें हर ट्रांज़ैक्शन की ‘इजाज़त’ देते थे, यहाँ तक कि जब वे अपने स्टाफ को मासिक वेतन के लिए थोड़ी-बहुत रकम निकालते थे।
“ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी के वश में आ गया हूँ और मेरी सारी समझ-बूझ खो गई हो। मेरा सोचना-समझना पूरी तरह से इन ठगों ने अपने कब्ज़े में कर लिया था,” मल्होत्रा ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा
सेवानिवृत्त बैंकर को 22.92 करोड़ रुपये के ग़ायब होने की शिकायत दर्ज कराने का साहस जुटाने में पूरे छह हफ़्ते लग गए। आखिरकार उन्होंने 19 सितंबर को शिकायत दी और उसी दिन एफआईआर दर्ज कर ली गई। इसके बाद उलझे हुए पैसों के इस पेचीदा सफ़र को सुलझाने की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस के कंधों पर आ गई।
सिर्फ़ 21 ट्रांज़ैक्शनों के ज़रिए 16 बैंक शाखाओं से निकली मल्होत्रा की रकम अब तक सात परतों में बंटकर 4,236 ट्रांज़ैक्शनों के ज़रिए घुमा दी गई है। दिल्ली पुलिस की IFSO (इंटेलिजेंस फ़्यूज़न एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन्स) शाखा के संयुक्त आयुक्त रजनीश गुप्ता के अनुसार, “डिजिटल आरेस्ट” जैसे मामलों में चोरी किए गए पैसों को इस तरह परत-दर-परत बांटना (layering) कोई नई बात नहीं है।
उन्होंने बताया, “हमने कई मामलों में देखा है कि रकम 20 तक की परतों में घुमाई गई। लेकिन इस केस में नुकसान की जानकारी तुरंत न दिए जाने की वजह से ‘गोल्डन आवर’ निकल गया। इसी वजह से ठगों को पकड़ना और पैसों को फ्रीज़ करना और भी मुश्किल हो जाता है।”

4 अगस्त से 4 सितंबर के बीच, नरेश मल्होत्रा ने अपने तीन बैंक खातों वाली शाखाओं में कुल 21 बार चक्कर लगाए और हर बार एक-एक आरटीजीएस ट्रांसफ़र किया। इस दौरान उन्होंने 16 अलग-अलग बैंक खातों में कुल 22.92 करोड़ रुपये जमा करवाए। जिन बैंकों में उनकी रकम भेजी गई, उनमें यस बैंक, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक और एक्सिस बैंक की शाखाएँ शामिल थीं — और ये देश के अलग-अलग राज्यों में थीं, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल से लेकर आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु तक। हैरानी की बात यह है कि 4,236 ट्रांज़ैक्शनों में से एक भी ट्रांज़ैक्शन दिल्ली की किसी शाखा में नहीं हुआ।
मल्होत्रा ने लगभग पाँच दशकों तक सरकारी और निजी बैंकों में वरिष्ठ पदों पर काम किया था और 2020 में सेवानिवृत्त हुए। जिन तीन शाखाओं से उन्होंने लेन-देन किया, वे उनके घर से बेहद नज़दीक थीं — कॉलोनी मार्केट की सेंट्रल बैंक शाखा महज़ पाँच मिनट की पैदल दूरी पर थी, जबकि एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा बैंक की शाखाएँ उनके घर से दस मिनट की कार दूरी पर थीं। मगर इन शाखाओं के प्रबंधक भी समझ नहीं पाए कि यह लेन-देन दबाव और धोखे का नतीजा है। संभवतः इन्हीं पैसों में मल्होत्रा की ज़िंदगी भर की कमाई और निवेश का बड़ा हिस्सा शामिल था।
संयुक्त आयुक्त गुप्ता के अनुसार, अब तक मल्होत्रा की रकम में से 2.67 करोड़ रुपये विभिन्न बैंक खातों में फ्रीज़ किए गए हैं। उन्होंने कहा, “लेकिन यह चोरी हुई कुल रकम का सिर्फ़ एक हिस्सा है। हमें अभी संतोष नहीं है, हमें लंबा रास्ता तय करना है।”
एफआईआर दर्ज होने के तीन दिन बाद, मल्होत्रा ने अपने दर्दनाक अनुभव को याद किया। उन्होंने बताया कि यह सब 1 अगस्त से शुरू हुआ, जब एक अनजान कॉलर ने उन्हें कहा कि उनकी पहचान का इस्तेमाल आतंकवाद को फंड करने के लिए किया गया है। कॉलर ने उन्हें डराया कि केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और सुप्रीम कोर्ट ही उन्हें ‘बच’ सकते हैं — लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी रकम ‘जमानत’ के तौर पर जमा करवानी होगी, जो बाद में लौटा दी जाएगी।
साइबर फ्रॉड से खुद को बचाने के लिए कुछ असरदार और आसान टिप्स दिए गए हैं
अब परिवार और दोस्तों के बीच सुरक्षित महसूस करते हुए, मल्होत्रा ने कहा कि इन सभी दिनों में उन्होंने सभी को इस भयावह घटना के बारे में नहीं बताया। “इन छह हफ़्तों के दौरान, मेरी रोज़मर्रा की छोटी-छोटी निकासी — चाहे वह दैनिक खर्च के लिए हो या स्टाफ की सैलरी के लिए — सभी को ठगों से अनुमति लेनी पड़ती थी… उन्होंने मेरी ज़िंदगी पूरी तरह अपने कब्ज़े में ले ली थी…” उन्होंने कहा।
उनकी अधिकांश बचत HDFC डिमैट अकाउंट में सुरक्षित रूप से निवेशित थी। इन फंड्स को उनके तीन बैंक खातों में ट्रांसफ़र करने और फिर 21 हिस्सों में 16 अन्य खातों में आरटीजीएस के ज़रिए भेजने में लगभग दो दिन लगे। 22.92 करोड़ रुपये की ठगी करने के बाद, ठगों ने 19 सितंबर को मल्होत्रा से और 5 करोड़ रुपये की मांग की। यही वह पल था जब मल्होत्रा ने महसूस किया कि अब कुछ बदलने की जरूरत है। (By – The Indian Express)
ठगों ने मल्होत्रा से 5 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल की एक प्राइवेट कंपनी के खाते में ट्रांसफ़र करने की मांग की। मल्होत्रा ने कहा, “मैंने उन्हें कहा कि मैं किसी थर्ड पार्टी को पैसा नहीं भेजूंगा। मैंने अपनी बात दृढ़ता से रखी और कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के रजिस्टार के पास 5 करोड़ रुपये जमा कर दूँगा, लेकिन किसी प्राइवेट कंपनी को नहीं। उन्होंने मुझे तुरंत गिरफ्तार करने की धमकी दी। मैंने कहा, ‘गिरफ़्तार करो’। मेरी दृढ़ता देखकर उन्होंने फोन काट दिया और बस… वहीं सब खत्म हो गया।”
एफआईआर के अनुसार, मल्होत्रा ने सेंट्रल बैंक से 9.68 करोड़ रुपये, HDFC बैंक से 8.34 करोड़ और कोटक महिंद्रा बैंक से 4.90 करोड़ रुपये निकाले। जबकि दो बैंकों के प्रबंधकों ने कहा कि उन्हें अपने ग्राहक से जुड़े ‘डिजिटल आरेस्ट’ मामले की जानकारी नहीं थी, तीसरे बैंक के प्रबंधक ने याद किया कि मल्होत्रा उनकी शाखा के नियमित विज़िटर थे। उन्होंने कहा, “उनकी बड़ी रकम के ट्रांसफ़र पर हमारी स्टाफ़ को कोई शक नहीं हुआ क्योंकि वे खुद आते थे और किसी भी तरह की बेचैनी का इज़हार नहीं करते थे। वह बैठते, बात करते और कभी-कभी चाय पीते हुए ये ट्रांसफ़र करते थे।”(BTrue News)
#Delhi digital arrest fraud 2025