Uttarakhand women challenge pradhan pati system 2025 :- उत्तराखंड में महिलाओं के एक समूह ने पंचायत चुनाव के मैदान में कदम रखा है — ताकि ‘प्रधान पति’ प्रथा को खत्म किया जा सके और असली सत्ता महिलाओं के हाथ में लौट सके।

Uttarakhand women challenge pradhan pati system 2025
Uttarakhand women challenge pradhan pati system 2025 – उत्तराखंड के अल्मोड़ा ज़िले के छोटे से गांव झीपा की दीवारों पर एक मुस्कुराती हुई युवती की तस्वीर वाले पोस्टर लगे हैं। लाल रंग से उकेली गई उसकी शैक्षणिक योग्यता साफ़ दिखाई देती है। देखने में ये पोस्टर आम लग सकते हैं, लेकिन तस्वीर में किसी पुरुष की गैरमौजूदगी सब कुछ बयां कर देती है।
32 साल की सुनीता देवी, अब झीपा गांव की ग्राम प्रधान बनने की तैयारी में हैं। पंचायत चुनाव का दूसरा चरण 28 जुलाई को है, और इस बार सुनीता देवी अकेले नहीं हैं — उनके साथ है “रचनात्मक महिला मंच”, एक ऐसा संगठन जिसने 2013 से अब तक सामाजिक काम किया, लेकिन अब पहली बार चुनावी मैदान में उतरा है।
इनका मकसद सिर्फ जीतना नहीं है — इनका संकल्प है उस परंपरा को तोड़ना, जिसमें महिलाएं तो चुनाव जीतती हैं, लेकिन उनके पति ‘प्रधान पति’ बनकर असल सत्ता चलाते हैं।
सुनीता और उनका मंच अब इस सिस्टम को खत्म करना चाहते हैं — ताकि महिलाएं खुद अपनी आवाज़, अपनी पहचान और अपने फैसलों के साथ नेतृत्व कर सकें।
24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के दिन, जब रचनात्मक महिला मंच की 11 क्लस्टरों की प्रमुख 9 “श्रम सखियों” की बैठक हुई, तो एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया — चुनावी राजनीति में कदम रखने का।
गांव-गांव में बैठकों के ज़रिए उम्मीदवारों का चयन किया गया, और महिलाओं ने खुद अपने नेतृत्व का रास्ता चुना।
अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे (साल्ट) ब्लॉक में सक्रिय यह मंच अभी तक किसी राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत नहीं है, लेकिन इसके हौसले किसी भी पार्टी से कम नहीं।
इस बार मंच से:
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26 महिलाएं ग्राम प्रधान पद के लिए मैदान में हैं,
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6 महिलाएं ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (BDC) के लिए,
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और 1 उम्मीदवार ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही हैं।
यही नहीं, मंच ने 40 अन्य गैर-सदस्य उम्मीदवारों को भी समर्थन दिया है, जो महिलाओं की असल भागीदारी और नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहते हैं।
यह सिर्फ चुनाव नहीं, सत्ता के दरवाज़े पर महिलाओं की हकदार दस्तक है — और इसकी गूंज अब गांवों से निकलकर पूरे उत्तराखंड में फैल रही है।
महज़ 11 गांवों की 150 महिलाओं से शुरू हुआ रचनात्मक महिला मंच, आज अल्मोड़ा और पौड़ी गढ़वाल के 150 गांवों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। अब इसके पास 1,500 से भी ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, जो बदलाव की असली मिसाल बन चुकी हैं।
यह मंच, गैर-लाभकारी संस्था ‘श्रमयोग’ की एक पहल है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह सालाना सिर्फ ₹5 की सदस्यता से चलता है — लेकिन इसी छोटे से योगदान ने बड़ी लड़ाइयों को ताकत दी है।
मंच ने महिलाओं के हक के लिए जमीन पर उतरकर कई आंदोलन किए:
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मानव और वन्यजीव संघर्ष के शिकार परिवारों के लिए ज़्यादा मुआवज़े की मांग,
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मनरेगा मज़दूरी बढ़ाने की लड़ाई,
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और बेहतर स्वास्थ्य बीमा सुविधा दिलाने की आवाज़।
इसके साथ ही, मंच ने कई महिलाओं को फूड प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करने में मदद की और उनके उत्पादों को बाज़ार से जोड़कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया।
यह सिर्फ एक संगठन की कहानी नहीं है — यह गांव की उन महिलाओं की कहानी है, जो अब सिर्फ सुनने वाली नहीं, बोलने और नेतृत्व करने वाली बन गई हैं। (BTrue News)
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