India ने Pakistan पर सटीक हमला किया — अमेरिका ने परमाणु खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया हो सकता है।

India ने Pakistan पर सटीक हमला किया।
ऑपरेशन सिंदूर को भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 मई को शुरू किया था। पाकिस्तान में नौ आतंकवाद से संबंधित ठिकानों की पहचान की गई और भारतीय सेना द्वारा उन पर सटीक हमले किए गए। पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य संपत्तियों पर जवाबी हमलों के साथ प्रतिक्रिया दी, जिससे दोनों परमाणु हथियार संपन्न पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ गया।
भारत ने दावा किया कि उसका लक्ष्य केवल पाकिस्तान में जिहादी आतंकी तंत्र को निशाना बनाना था और उसका पाकिस्तान की परमाणु संपत्तियों को कमजोर करने का कोई इरादा नहीं था, फिर भी चिंता स्पष्ट थी। अमेरिका, जिसने शुरुआती चरण में इस संघर्ष से खुद को दूर रखा था, ने जल्द ही अपना रुख बदल लिया।
10 मई 2025 को, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा की। उन्होंने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से एक संभावित परमाणु युद्ध टल गया। 12 मई को व्हाइट हाउस में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने केवल युद्धविराम की मध्यस्थता ही नहीं की, बल्कि एक ‘परमाणु संघर्ष’ को भी टाल दिया।
India ने Pakistan पर सटीक हमला किया।
7 से 10 मई के बीच, सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में अफवाहें फैलीं कि भारत ने पाकिस्तान के रावलपिंडी के पास स्थित किरणा हिल्स में मिसाइल हमले किए, जो पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडारण स्थल के रूप में जाना जाता है। इन अफवाहों में यह भी कहा गया कि इन हमलों के कारण विकिरण का रिसाव हुआ, जिसे एक विशेष अमेरिकी निगरानी विमान ने पकड़ा, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई।
हालांकि, 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है। IAEA के प्रवक्ता ने कहा, “IAEA के पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर, पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव या उत्सर्जन नहीं हुआ है” ।
भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल ए.के. भारती ने भी इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि भारत ने किरणा हिल्स या किसी भी परमाणु स्थल को निशाना नहीं बनाया। उन्होंने कहा, “हमने किरणा हिल्स को निशाना नहीं बनाया, जो भी वहां है” ।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी एक संसदीय पैनल को जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम एक आपसी और द्विपक्षीय निर्णय था, न कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता का परिणाम ।
इस प्रकार, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान परमाणु संकट की अफवाहें और अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे वास्तविकता से परे प्रतीत होते हैं। IAEA और भारतीय अधिकारियों के बयानों से स्पष्ट है कि कोई परमाणु रिसाव नहीं हुआ और युद्धविराम एक आपसी समझौता था।
क्या मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु संकट की पुनरावृत्ति हुई?
मई 1990 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक गंभीर परमाणु संकट उत्पन्न हुआ था, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने अपने विशेष दूत रॉबर्ट गेट्स को भेजकर शांत किया था। इस संकट के बारे में अमेरिकी खोजी पत्रकार सीमोर हर्श ने 1993 में द न्यू यॉर्कर में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने कम से कम छह और संभवतः दस परमाणु हथियार तैयार कर लिए थे, जिनमें से कुछ को अमेरिकी निर्मित F-16 लड़ाकू विमानों पर तैनात किया गया था। हर्श के अनुसार, तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो को परमाणु योजना से बाहर रखा गया था, जिससे राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान और सेना प्रमुख जनरल मिर्ज़ा असलम बेग के पास पूर्ण नियंत्रण था।
रॉबर्ट गेट्स ने पहले पाकिस्तान और फिर भारत का दौरा किया, जहाँ उन्होंने वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों और तत्कालीन प्रधानमंत्री वी. पी. सिंह से मुलाकात की। गेट्स ने भारतीय पक्ष को आश्वस्त किया कि पाकिस्तान के साथ उनकी बातचीत से परमाणु खतरे को कम किया गया है। हालांकि, दिल्ली ने किसी भी तत्काल परमाणु खतरे की धारणा नहीं की थी।
मई 1990 के इस संकट को उच्च गोपनीयता में रखा गया था, और अमेरिकी परमाणु नीति में यह एक काला अध्याय बन गया। हर्श ने यह भी उल्लेख किया कि रोनाल्ड रीगन प्रशासन ने पाकिस्तान को परमाणु बम प्राप्त करने में अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान की थी।
मई 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा की और दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से एक संभावित परमाणु युद्ध टल गया। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की कि पाकिस्तान की किसी भी परमाणु सुविधा से कोई विकिरण रिसाव नहीं हुआ है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ट्रंप के दावे वास्तविकता से परे थे।
इस प्रकार, मई 2025 की घटनाएं मई 1990 के संकट की पुनरावृत्ति नहीं थीं, बल्कि एक अलग परिप्रेक्ष्य में उत्पन्न हुई स्थिति थी, जिसमें परमाणु खतरे की वास्तविकता कम और राजनीतिक बयानबाजी अधिक थी। (BTrue News)
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